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फाल्गुन मास: बदलाव की बयार

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हिंदू पंचांग के अनुसार बारह महीने इस प्रकार हैं: चैत्र,वैषाख, ज्येष्ठ, आषाढ़,श्रावण,भाद्रपद,अश्विन, कार्तिक,मार्गशीर्ष,पौष,माघ और फाल्गुन। इनमें हिंदू पंचांग वर्ष का अंतिम महीना फाल्गुन है, जो अंग्रेज़ी कैलेंडर के अनुसार फरवरी–मार्च में पड़ता है।  ■ प्राकृतिक महत्व फाल्गुन को 'वसंत' ऋतु का महीना भी कहा जाता है क्योंकि इस समय भारत में न अधिक गर्मी होती है और न अधिक सर्दी, अर्थात् यह शीत और ग्रीष्म ऋतुओं का संधिकाल है। इस माह से धीरे-धीरे गर्मी के दिन शुरू होने लगते हैं तथा ठंड कम होने लगती है।  ■ सांस्कृतिक महत्व फाल्गुन मास में महाशिवरात्रि और होली के त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं। चंद्र देव की आराधना के लिए फाल्गुन मास सबसे उपयुक्त समय होता है, क्योंकि इसे चंद्रमा का जन्म माह माना गया है।  ■ जीवनशैली क्योंकि यह महीना ग्रीष्म की शुरुआत का समय है, अतः अब प्रकृति हमें उसके अनुसार जीवनशैली अपनाने का इशारा करने लगती है। भोजन और दैनिक कार्यों में यह बदलाव आवश्यक और लाभकारी होता है। फाल्गुन मास में शीतल या सामान्य जल से स्नान करना बेहतर होता है। भोजन में अनाज का इस्तेमाल कम से कम क