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ब्राह्मण कुल गौरव: भगवान परशुराम

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श्री विष्णु के दशावतार में से एक माने जाने वाले भगवान परशुराम को ब्राह्मण कुल गौरव कहा जाना उचित है। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया अर्थात् अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम ने ऋषि जमदग्नि और रेणुका के यहां जन्म लिया था। जन्म के समय इनका नाम राम रखा गया था। कुछ समय बाद जब उन्हें महादेव ने शस्त्र के रूप में विद्युदभि नामक दिव्य परशु(कुल्हाड़ी) दिया, तो इन्हें परशुराम कहा जाने लगा। परशुराम जी को राम, जामदग्नि, भार्गव, और वीरराम के नाम से भी जाना जाता है।  ■ क्षत्रिय कर्म परशुराम का जन्म ब्राह्मण कुल में होने से वे अत्यंत ज्ञानी और विद्वान थे, लेकिन कर्म से वे क्षत्रिय थे। उनका क्रोध, बल और शूरवीरता जगत प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि उन्होंने अहंकारी और धृष्ट हैहय वंशी शासकों का पृथ्वी से २१ बार संहार किया। ■ पितृ आज्ञा सर्वोपरि  मान्यता है कि जब ऋषि जमदग्नि अपनी पत्नी रेणुका से क्रुद्ध हुए और अपने पुत्रों को उनका वध करने का आदेश दिया। कोई भी पुत्र यह नहीं कर सका लेकिन पिता की आज्ञा पालन हेतु परशुराम ने यह कठिन कार्य पूरा किया। इससे प्रसन्न हो  उनके...