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राजस्थान: वैभव और वचनबद्धता

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राजस्थान की भूमि वीर प्रसूता भूमि कही जाती है। इतिहास  के पन्नों में राजस्थान अपने  भक्ति, शौर्य, बलिदान, वचनबद्धता और निष्ठा जैसे गुणों के लिए जाना जाता है।  ब्रिटिशकाल का राजपूताना कहलाने वाला यह राज्य अपनी गौरवमयी थाती के चलते एक अलग पहचान रखता है। यहां के किले, महल और इमारतें भव्यता का पर्याय हैं, जिनके झरोखों से झांक कर हम अपने समृद्ध इतिहास की झलक पाते हैं। लेकिन राजस्थान सिर्फ भव्यता और राजसी ठाठ ही नहीं वरन् बलिदान और स्वामिभक्ति के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां की मिट्टी में साहस और निडरता कूट–कूट कर भरी है, और यह गुण यहां के रहवासियों में भी कुछ कम नहीं। अपनी आन पर मर जाना भी स्वीकार करने वाले लोग इस भूमि पर हुए हैं। राजस्थान की गौरवशाली विरासत में महाराणा प्रताप और महाराणा कुंभा सरीखे शौर्यवान सपूत हुए हैं, जिन्होंने आतताइयों के विरुद्ध झुकने की बजाय कष्ट सहना स्वीकार किया, और इसी धरा पर पन्नाधाय सरीखी स्वामिभक्त भी हुई हैं, जिन्होंने राज्य के भविष्य के लिए अपने बालक तक को भेंट कर दिया। इसी भूमि पर महारानी पद्मिनी जैसी गर्वीली नारियां हुई हैं जिन्होंने अपने सम्मान की रक्षा के लिए