मालवा की थाली
मालवा की इस थाली के अवयव कुछ इस प्रकार हैं– पान्ये एक तरह से मक्का की रोटी या बाटी ही है, लेकिन इसकी विशेषता है, कि इसे खाखरे के पत्तों में लपेट कर या ढंक कर सेका जाता है। इसके कारण इनका स्वाद मक्का की रोटी से काफ़ी भिन्न होता है। यहां बता दूं कि खाखरे के पत्ते वही हैं जिनसे पुराने समय में पत्तल– दौने बनाए जाते थे, क्योंकि ये स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभदायक हैं। पान्ये बनाने के लिए मक्की का आटा थोड़ा नमक मिला कर बांध (ओसन) लिया जाता है, इसके बाद इसे रोटी से या टिक्कड़ का आकार दे कर खाखरे के पत्तों के बीच रख कर चूल्हे की आग में या तंदूर में सेक लिया जाता है। इसकी सिकाई काफी वक्त लेती है, और अच्छे से सेका जाना ज़रूरी भी है। अच्छी और पूर्ण सिकाई के बाद इसका अलग ही स्वाद आता है। इन्हें घी के साथ खाया जाता है। इस थाली का अगला सदस्य है, उड़द की दाल, जिसे काली दाल भी कहा जाता है। उड़द की दाल प्रोटीन और लौह तत्वों का भण्डार है। इस दाल को राई, जीरा, सौंफ, धनिया, नमक, हल्दी, मिर्च, आदि मसालों के साथ छौंक लगाया जाता है। इसके साथ इस थाली में गुणकारी सूखी लाल मिर्च और लहसुन की चटनी, जिसमें हींग, जीरा,...