बड़ी, पापड़, अचार: स्वाद का संग्रहण


भारतीय घरों की जो सबसे बड़ी विशेषता है वह है आपातकाल के लिए संग्रहण करना। सदियों से ये परंपरा हमारे लोक व्यवहार का हिस्सा है। चाहे वह मुद्रा हो या भोजन सामग्री संग्रहण की आदत सदा से विषम परिस्थितियों में सहायक रही है।
इसी कड़ी में भारतीय भोजन परंपरा के कुछ अवयव हैं, बड़ी, पापड़, अचार, मुरब्बा, आदि,जो कि संग्रहण परंपरा के बेहतरीन उदाहरण हैं। साथ ही ये सुदूर बैठे अपनों को अपने घर का स्वाद चखाने और परदेस में घर का एहसास दिलाने का भी एक ज़रिया हैं। अचार, पापड़, आदि सामग्रियांं स्वाद और प्रेम का संचरण करने में महती भूमिका निभाते हैं। आइए इनके विषय में थोड़ी चर्चा करते हैं।

 बड़ियां–

उड़द दाल, मूंग दाल, चवला दाल, आदि को गला कर, पीस कर और इनमें आवश्यक मसाले मिला कर भिन्न–भिन्न आकार की बड़ियां सुखा दी जाती हैं। इसके बाद साल, दो साल, यानि लंबे समय तक इन्हें भोजन सामग्री के रूप में काम लिया जाता है। सब्ज़ी, कढ़ी, आदि में। अर्थात् जब मौसमी सब्ज़ियां उपलब्ध न हो पाएं और दाल खा–खाकर लोग ऊब जाएं तो बड़ी काम आती है। घर में सब्ज़ी न हो, तब भी झटपट इसे बनाया जा सकता है। इस प्रकार भोजन सामग्री की कमी से होने वाली मुश्किल संग्रहण की इस आदत से आसानी से हल हो जाती है। 

पापड़–

मूंग दाल, उड़द दाल, चना दाल, चावल, मक्का, साबूदाना, और न जाने कितने ही तरह के पापड़ भारतीय घरों के खानपान का अभिन्न हिस्सा है। ये मुख्यतः सहायक भोजन सामग्री या नाश्ते के रूप में प्रयुक्त होते है। पापड़ लंबे समय तक संग्रहित कर रखा जा सकता है और निश्चित रूप से भोजन के स्वाद में चार चांद लगा देता है। 

■ अचार–



हमारी भोजनशैली का एक और महत्त्वपूर्ण अवयव है अचार। खाने को चटपटा और सुस्वाद बनाने में अचार की भूमिका से शायद ही कोई अपरिचित हो। अचार विभिन्न सब्ज़ियों से बनते हैं। गाजर, मिर्च, गोभी, हल्दी, मूली, कैरी, मटर, चने और न जाने क्या–क्या। बहरहाल, अचार सब्जियों को सहेजने का एक अभूतपूर्व तरीका है। इसमें सब्जियों को तेल, मसालों और नमक में मिला कर सालों तक सहेजा जा सकता है। और ये खाने के स्वाद को तो बढ़ाता ही है। 

■ मुरब्बा–

अचार की तरह ही मुरब्बा भी गुणकारी फलों को सहेज कर रखने का एक बेहतरीन तरीका है। आम, आंवला, आदि के मुरब्बे स्वाद में किसी भी चॉकलेट को टक्कर देने में सक्षम हैं। शक्कर और नमक में फल को गला कर लंबे समय तक सहेजा जाता है, और इसका स्वाद समय के साथ बढ़ता ही है और इनके गुणों की चर्चा करने के लिए तो शब्द भी कम पद जाएंगे।

ये सभी भोजन सामग्री हमारी रसोइयों का अभिन्न अंग हैं। इनके बिना भारतीय रसोई अधूरी है, भारतीय भोजन अधूरा है। ये हमारी अमूल्य धरोहर हैं, जो ज़रूरत की चीज़ों के संग्रहण और सहेजने की कला से परिचित करवाती हैं। ये हमारी संस्कृति का महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं और इन्हें संचरित करना हमारा कर्तव्य है।


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