जनमगांठ: यादां की गांठ

घर में बड़ों से सदा से एक मेवाड़ी शब्द सुना है - जनमगांठ अर्थात् जन्मदिन। हांलांकि ऐसा ही शब्द हिंदी भाषा में भी है - वर्षगांठ। अर्थ पूछने पर पता चला कि पहले के समय में जब अभिभावकों को अक्षर ज्ञान या गिनती आदि नहीं आती थी तब वो अपने बच्चों की उम्र या आयु को याद रख सकें इसके लिए हर वर्ष के जन्मदिन पर किसी कपड़े में एक गांठ बांध लिया करते थे। संभवतः इसलिए इस दिन को जनमगांठ कहा जाता है - वह दिन जिसकी गांठ बांधी जाए कि आयु में एक वर्ष की वृद्धि हुई है। साथ ही गांठों की संख्या गिनने पर आयु भी पता लगाई जा सकती है। इस तरह रोज़मर्रा की ज़िंदगी में प्रयुक्त होने वाले इस शब्द का आविर्भाव शायद रोज़मर्रा की ही समस्याओं को हल करने के लिए हुआ होगा। आम बोलचाल की भाषा में कई ऐसे शब्द हैं जिनकी उत्पत्ति के पीछे कोई न कोई जीवनोपयोगी कुंजी है। ये बोलचाल हमारी धरोहर है, और इसे सहेजना हमारा कर्त्तव्य ही नहीं सौभाग्य है। चित्र- इंटरनेट से साभार