आयुर्वेद: दैवीय चिकित्सा पद्धति


छायाचित्र-यामिनी दशोरा 

आयुर्वेद शब्द आयु: तथा वेद से मिल कर बना है, जिसका अर्थ है आयु अथवा जीवन का ज्ञान। कहा गया है कि, 'आयुर्वेदयति बोधयति इति आयुर्वेद:', अर्थात वह विज्ञान जो आयु या आरोग्य का ज्ञान कराता है। आयुर्वेद का ज़िक्र वेदों में भी मिलता है, जिससे यह सिद्ध होता है कि यह चिकित्सा विज्ञान बहुत पुराना है। इस भारतीय पद्धति को विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति होने का गौरव प्राप्त है, इतनी प्राचीन कि माना जाता है, इसका ज्ञान सर्वप्रथम ब्रह्मा ने प्रजापति को दिया था तथा आयुर्वेद के देवता धनवंतरि को विष्णुरूप माना जाता है।

आयुर्वेद अत्यंत वृहद् है क्योंकि यह विज्ञान, कला और दर्शन का मिश्रण है। दिलचस्प बात यह है कि आयुर्विज्ञान न सिर्फ़ रोग निवारण का विज्ञान है, वरन् यह निरोग बने रहने और आयु वर्धन करने से भी सम्बंधित है। आयुर्वेदानुसार मानव शरीर में सभी रोगों की जड़ त्रिदोषों का असन्तुलन है। ये त्रिदोष हैं- वात, पित्त व कफ। आरोग्य इन त्रिदोषों के संतुलन का ही नाम है। इस पद्धति के मुख्य रूप से आठ अंग हैं जिन्हें अष्टांग कहा जाता है, ये अंग विभिन्न चिकित्सकीय प्रणालियों को बताते हैं। ये अष्टांग हैं- कायचिकित्सा, शल्यतंत्र, शालक्यतंत्र, कौमारभृत्य, अगदतंत्र, भूतविद्या, रसायनतंत्र एवं वाजीकरण। 

आयुर्वेदिक चिकित्सा की एक विशेषता है कि यह रोगी के शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी सुधारती है, जिससे उसे चिकित्सा का सम्पूर्ण लाभ प्राप्त होता है। इस प्रकार आयुर्वेद वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ मानवीय संवेदनाओं से भी परिपूरित है।

आयुर्विज्ञान पद्धति में प्रयुक्त घटक मुख्यतः जड़ी-बूटियों और पेड़-पौधों से प्राप्त होते हैं। इस कारण यह प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति है। और प्रकृति के करीब होने से यह शरीर को नुकसान भी नहीं पहुँचाती। आयुर्वेदिक औषधियाँ इतनी गुणकारी होती हैं कि निरोगी व्यक्ति भी इनका सेवन निश्चिंत होकर कर सकता है। साथ ही ये सरलता से उपलब्ध वस्तुओं से बनती हैं। 

आयुर्वेद का एक अन्य गुणधर्म यह भी है कि इस चिकित्सा विज्ञान में खान-पान और जीवनशैली को सात्विक वा सुचारू रखने पर भी ज़ोर दिया जाता है। इस दृष्टि से यह वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अत्यंत प्रासंगिक है, क्योंकि आज अधिकतर रोगों के पीछे असंतुलित जीवनशैली एक मुख्य कारण है। इसका अर्थ है कि यह प्राचीनतम चिकित्साशैली ना केवल प्रभावी बल्कि दूरदर्शी भी है।

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