सत्य और सरलता

परम्पराओं का देश, संस्कृति की जन्मस्थली, संस्कार भूमि, देश एक- भारत। जीवन को यहाँ एक पावन उत्सव माना जाता है और इसके हर क्षण को सत्य, निष्ठा व नीतिपरायणता के साथ व्यतीत करना ही इस धरती की शिक्षा है।
'सांच को आंच नहीं', 'जो दृढ़ राखे धर्म को ताहि राखि करतार', आदि वे बीजमंत्र हैं जो इस देश में घुट्टी के साथ ही दे दिए जाते हैं। 
हमारे सभी धर्म, शिक्षा, ग्रंथ और संतों से यही सीखने को मिलता है कि सत्य सदैव विजयी होता है। असत्य कितना ही बलशाली क्यों ना हो, अन्ततः सत्य के सामने टिक नहीं पाता।
इस गौरवशाली धरा पर जीवन धारा का प्रवाह न्याय, सत्य और सहनशीलता के साथ होता है। एक अन्य गुणधर्म जो हमारी जीवनशैली को अलहदा बनाता है, वो है हमारी सरलता। भारतीय का जीवन सरलता का पर्याय है। यहाँ सरल होना मूर्खता नहीं बल्कि एक अद्वितीय गुण है।
सरलता को यहाँ मनुष्यता और सज्जनता का परिचायक माना जाता है। सरल होना यहाँ पूजनीय है क्योंकि सरल व्यक्ति को स्वच्छ मन का मालिक माना जाता है।
सत्य और सरलता ऐसे जीवनमूल्य हैं जो हमें हर कठिनाई का सामना करने की हिम्मत, ताकत और आत्मविश्वास भी देते हैं, क्योंकि जब आप सरल होते हैं, तो आप कुटिल नहीं होते, और जब आप कुटिल नहीं तो सत्य का आपकी ओर होना निश्चित है। और जब सत्य आपके साथ है तो देर सवेर आप विजयी होंगे, बस सत्यनिष्ठ और कर्मठ बने रहें।



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