राजस्थान की थाली- २

दाल-बाटी-चूरमा की संगत लाजवाब है। यह राजस्थान के मशहूर भोज्य पदार्थ हैं। इनके साथ प्राय: बेसनगट्टे की सब्जी, बूंदी का रायता, पकौड़ी की खिचड़ी और अनेकों किस्म के अचार परोसे जाते हैं।आइये इस पारम्परिक थाली के पात्रों से रुबरु होते हैं।

इस थाली का सबसे पहला अवयव है बाटी या बाफला, जो गेहूँ के आटे से बनायी जाती है। इसे बनाने के लिये आटे में नमक, सौंफ, अजवायन, घी डाल कर कड़ा गूँथ लिया जाता है। इसके बाद इसे पानी में उबाल कर या बिना उबाले आँच पर सेंक लिया जाता है। पारम्परिक रूप से इसे चूल्हे की आँच पर सेंका जाता है, लेकिन आजकल गैस पर भी बना लिया जाता है। गेहूँ यहाँ के मुख्य अनाजों में से एक है। अजवायन पाचन में मदद करता है। सौंफ सुगंध और ठंडक दोनों प्रदान करती है, साथ ही इसके कई और फायदे भी हैं।

इस थाली का अगला सदस्य है, उड़द की दाल, जिसे काली दाल भी कहा जाता है। उड़द की दाल प्रोटीन और लौह तत्वों का भण्डार है। इस दाल को राई, जीरा, सौंफ, धनिया, नमक, हल्दी, मिर्च, आदि मसालों के साथ छौंक लगाया जाता है, ये मसाले खाने का स्वाद और गुण दोनों बढ़ाते हैं। इनके गुणों पर फिर कभी चर्चा करेंगे।

दाल के बाद बारी आती है चूरमे की, गेहूँ के आटे, गुड़ और ढेर सारे घी के साथ बनाया जाने वाला यह मीठा व्यंजन राजस्थानी खाने की जान है। पोषण और स्वाद दोनों में इसका कोई सानी नहीं है। घी जिसे सूपरफूड भी कहा जाता है, शरीर को ताकत और ऊर्जा देता है।

रायता, जिसे दही या छाछ से बनाया जाता है, गर्मियों के भोजन का प्रमुख अंग है। यह शरीर को ग्रीष्म ऋतु के भीषण ताप से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। साथ ही दही पाचन क्रिया को सही रखता है, रोगप्रतिरोधक क्षमता(इम्युनिटी) बढ़ाता है, त्वचा निखारता है, हड्डियों को मज़बूती देता है, और ना जाने कितने ही फायदे पहुँचाता है।

बेसनगट्टे में प्रयुक्त होने वाला बेसन मधुमेह(डायबिटिज़) को नियंत्रित करने में सहायता करता है, ग्लुटेन एलर्जी की स्थिति में बेसन एक अति उत्तम विकल्प है। स्वाद में भी बेसनगट्टे की सब्ज़ी का कोई सानी नहीं।

इस थाली में जो अगला व्यंजन है, पकौड़े की खिचड़ी या पुलाव, यह अत्यंत स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है। बेसन के गुणों के बारे में तो हम ऊपर बात कर ही चुके हैं। चावल, जैसा कि सर्वविदित है, रेशों(फाईबर्स) का अच्छा स्त्रोत हैं, और वजन नियंत्रित करने में सहायक है।

इस थाली में केरी(कच्चे आम) का छुन्दा भी है, जो गर्मी में काफी पसंद किया जाता है, क्योंकि यह ना केवल गुणकारी है, बल्कि बनाने में बहुत आसान और खाने में बहुत स्वादिष्ट भी है।

अचार के बगैर जैसे ये थाली अधूरी है, वैसे ही उसके ज़िक्र के बगैर ये आलेख भी अधूरा है। अचार भोजन के स्वाद को कई गुना बढ़ा देता है, इसे चटपटा बनाता है, लेकिन बस इतना ही नहीं, यह ना केवल पाचन में सहायक होता है, बल्कि रोगप्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है। साथ ही अचार को प्रोबयोटिक्स का भी अच्छा स्त्रोत माना जाता है।

इस तरह यह थाली स्वाद, सुगंध और सेहत का अद्भुत मिश्रण है। इसे बनाएँ, खाएं और खिलाएं।

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