राजस्थान की थाली - १

राजस्थान की सर्दियाँ अपने आप मेें एक अनूठा अनुुुुभव हैैं। मरु प्रदेश के प्रचंंड ग्रीष्म की ही तरह यहाँ का शीत भी कुछ कम नहीं। इस प्रबल शीत का सामना करने के लिए जो ऊर्जा चाहिये वो तो यहाँ के अलहदा और स्वादिष्ट भोजन से ही मिल सकती है।राजस्थान में सर्दी की थाली काफी पौष्टिक व समृद्ध है। 

इसी क्रम में आज की सर्दी की थाली के व्यंजन इस प्रकार हैं: बथुआ और मकई के आटे की पूरी(परांठा), जिसे घी या तेल में तल या सेंक लिया जाता है। यहाँ मक्का सर्दियों का मुख्य अनाज है क्योंकि ये इस मौसम के लिए आवश्यक ऊर्जा और गर्मी देता है। इसके साथ है हरे धनिये और तिल की चटनी, जिसे बनाने के लिए हरे धनिये के पत्तों को भुने तिल और मसालों(जीरा, राई, लाल मिर्च, हरी मिर्च, नमक, आदि) के साथ पीस लिया जाता है। हरा धनिया कि पोषक तत्वों की खान है, और तिल जो चयापचय(मेटाबोलिज़्म) को दुरुस्त रखता है, रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है, इसके सेवन से और  भी कई फायदे होते हैं। 

इस अद्भुत थाली का एक और सदस्य है, बथुए की कढ़ी, कढ़ी और मक्के की रोटी/पूरी/परांठा का तो अटूट रिश्ता है। दोनों एक दूसरे के स्वाद को परिपूर्ण करते हैं, और इस कढ़ी को बथुए के साथ बनाया जाये तो इसका स्वाद व पोषण द्विगुणित हो जाते हैं।

थाली का आखिरी सदस्य मीठा है, जो इस थाली को सम्पूर्ण बनाता है। और ये कोई ऊंचा पकवान नहीं बल्कि गरीबों का काजू कहलाने वाली मूंगफली और शीत के लिये श्रेष्ठ गुड़ से बनी मिठाई है, जिसे चिक्की या मूंगफली पट्टी भी कहा जाता है। गुड़ रक्तशोधक और रक्तवर्धक है और सर्दियों के लिये आदर्श आहार का अभिन्न अंग है। मूंगफली सर्वसुलभ होने के साथ ही पोषक तत्वों से भरपूर है। अत: इन दोनों के मेल से बनी यह मिठाई अति पौष्टिक, गुणकारी और स्वादिष्ट है।

इन अद्भुत व्यंजनों का सेवन स्वाद व स्वास्थ्य दोनों जरूरतों को पूरा करता है। ये भोजन हमारी धरोहर है, इसे सहेजना, बांटना और आगे बढ़ाना हमारा कर्तव्य ही नहीं हमारा सौभाग्य भी है। फिर क्यों इस सौभाग्य को हाथ से जाने दें।



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