ज्योतिष विज्ञान : ग्रह-नक्षत्रों का संज्ञान


ज्योतिष की परिभाषा कुछ इस प्रकार है: कर्म-फल-विपाक-काल-विधानं अर्थात्, व्यक्ति के कर्मफल जब परिपक्व हों, उस समय या काल का विधान। इसका अर्थ यह है कि ज्योतिषशास्त्र विज्ञान और कर्मफल के स्तंभों और सिद्धांतों पर आधारित है।


विदेशों में इंडियन एस्ट्रोलाॅजी के नाम से विख्यात ज्योतिषशास्त्र को वेद का एक अंग माना जाता है। इसकी उत्पत्ति सृष्टि के सृजन के साथ ही मानी गई है, और इसीलिए परमपिता ब्रह्मा को ही ज्योतिष का रचयिता माना गया है। वैदिक काल में यज्ञादि धार्मिक कार्य मुख्य हुआ करते थे, तथा इनके लिए शुभ मुहूर्त व समय ज्योतिषशास्त्र से ही पता लगाया जाता था।

दिलचस्प बात यह है कि प्राचीन काल में विद्वान पृथ्वी को ही ज्योतिषीय गणनाओं का केंद्र माना करते थे तथा उसी को आधार बनाकर अन्य ग्रहों की गतियों की गणना करते थे। जबकि वर्तमान में सौरमंडल का केंद्र सूर्य ही ज्योतिषीय गणनाओं का केंद्र है। 

भारतवर्ष में ज्योतिष का विकास ग्रह-नक्षत्रों की गणना पद्धति के रूप में हुआ, परन्तु वर्तमान में इसे कई लोग भाग्य या भविष्य देखने की विद्या समझते हैं। लेकिन केवल यही ज्योतिष की उपादेयता नहीं है। काल-गणना, मुहूर्त, पर्व-त्यौहार, पूजा-पाठ, आदि के लिये उपयुक्त दिन और समय की जानकारी ज्योतिष आधारित पंचांग से ही मिलती है। इसके साथ ही, ग्रहों की गतियों, ब्रह्मांड की गतिविधियों और नक्षत्रीय ज्ञान प्राप्ति हेतु भी ज्योतिष की भूमिका महत्वपूर्ण है। 

ज्योतिष के निम्न प्रकार हैं:

■ सामुद्रिक शास्त्र 

इस विद्या में व्यक्ति के माथे, चेहरे और शरीर की बनावट से उसका भाग्य व भविष्य पढ़ा जाता है।

■ अंक ज्योतिष

ज्योतिष के इस प्रकार में व्यक्ति के जन्म के अंकों के आधार पर गणनाओं से भविष्य ज्ञात किया जाता है।

■ अंगूठा शास्त्र 

इस विद्या में व्यक्ति के अंगूठे की रेखाओं से भविष्य-वाचन किया जाता है।

■ कुंडली/नक्षत्र ज्योतिष

यह गणित आधारित विद्या है, जिसमें व्यक्ति के जन्म के समय के ग्रह-नक्षत्रों के आधार पर कुंडली बनाई जाती है और भविष्य ज्ञात किया जाता है। 

■ हस्तरेखा ज्योतिष 

इसमें व्यक्ति के हाथों की रेखाओं व अन्य आकृतियों उसके जीवन, भविष्य, भाग्य, आदि के बारे में बताया जाता है। यह अति प्राचीन व अत्यंत प्रचलित पद्धति है।

■ टैरो कार्ड

यह मुख्यतः मनोविज्ञान आधारित विद्या है, जिसमें चुने गए कार्ड से भविष्यवाणी की जाती है। यह काफी प्रचलित है।

■ लाल किताब 

व्यावहारिक ज्ञान पर आधारित इस विद्या के नियम एक किताब में संकलित हैं, जिसके आधार पर इसे यह नाम दिया गया है।

■ नंदी नाड़ी ज्योतिष

इस विद्या में ताड़ के पत्ते से भविष्य ज्ञात किया जाता है।

यह प्राचीनतम पद्धति गणित, विज्ञान और शास्त्रों का सार अपने में समेटकर जटिल गणनाओं के द्वारा काल और समय की घटनाओं, परिघटनाओं का पूर्वानुमान करने में सक्षम है। इस धरोहर पर हमें गर्व होना स्वाभाविक है।




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