भारतीय गणतंत्र: जनपद से संविधान तक

भारतवर्ष २६ जनवरी २०२२ को अपना ७३वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। लेकिन आधुनिक भारत के गणतंत्र की जड़ें सम्भवतः पुरातन काल के जनपदों के रूप मेें बो दी गईं थी। जनपद शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्दों 'जन', अर्थात जनता और 'पद' अर्थात पाँव से हुई है। इसका मूल अर्थ है, वह धरती जहाँ जनता ने पाँव धरे हों। जनपद प्राचीन भारत के राज्य थे जो एक राजा के नेतृत्व में संचालित होते थे। जनपद का एक अन्य प्रकार थे गणराज्य जिनमें राजा के स्थान पर राज्य की सभा ही राजकार्य का संचालन करती थी। हांलाकि अधिकतर जनपद पूर्णतः गणतांत्रिक नहीं थे तथा राजा का उत्तराधिकारी उसका वंशज ही हुआ करता था, परंतु इस राज्य सरकार में सभा व समितियां आमजन का प्रतिनिधित्व करती थी। इस प्रणाली में राजा के साथ-साथ पुरोहित, सैनानी, आदि पद हुआ करते थे। यहाँ सभा योग्य व्यक्तियों का एक समूह था जो मुख्यतः न्यायिक मामलों में राजा को सलाह दिया करती थे। इसके अलावा समिति में राज्य के सभी सदस्य हुआ करते थे। इनका कार्य महत्वपूर्ण फैसलों या मुद्दों को जनता तक पहुंचाना होता था। साथ ही यह समिति महत्वपूर्ण आयोजनों की भ...